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yeh JAWAANI hai DEEWANI लव स्टोरी हिंदी

अभिषेक एक सुंदर नौजवान लड़का है, आज ऑफिस आते समय लॉबी में उसे एक सुंदर लड़की दिखाई देती है, वह देखते ही उसका दीवाना हो जाता है, । वह उसे देखने के लिए रुकता है तब तक उसे ऑफिस बॉय आवाज़ देता है, " सर गुड मॉर्निंग, !   वह मुड़कर उसे देखता है और कहता है," गुड मार्निंग मोहन , सब ठीक है, ! वह हां में सर हिला दिया,अभिषेक पलट कर देखता है ,तब तक वो गायब हो जाती है, अभिषेक का मूड ऑफ होता है, पर वह किसको दोष दे ,अब बॉय देख कर गुड मॉर्निंग ना बोले तो भी बुरा और उसको जवाब नही देना वो भी अच्छा नहीं होता है, वह खुद को कोसते हुए, लिफ्ट में जाता है, वह जाकर अपने केबिन में बैठकर कंप्यूटर ऑन करता है,। उसी समय उसके बॉस का फोन आता है , वह अपने केबिन में बुलाता है, उसकी यह सॉफ्टवेयर की कंपनी है , यह कई बड़ी कंपनी को सर्विस देते हैं, । उसके बॉस सुंदर साहू ने बहुत ही मेहनत से इस कंपनी को आगे बढ़ाया है, । वह केबिन में इंटर करता है तो बॉस के सामने उसी लड़की को बैठी देखता है तो जैसे उसके दिल में फ्रिज खुल जाता है, वह बॉस के सामने कुछ रिएक्ट नही कर पता है और चुप चाप खड़ा हो जाता है सुंदर उसे देख कहता है

हीर रांझा के प्यार की अद्भुत प्रेम कहानी | Heer Ranjha True Love Story in Hindi

हीर रांझा के प्यार की अद्भुत प्रेम कहानी | Heer Ranjha True Love Story in Hindi



हेलो दोस्तों में हूँ आपका होस्ट आर्यन और में आज लेकर आ गया हूँ हीरा-राँझा कि दिल को छू जाने वाली पूरी लव स्टोरी जिसे पढ़ कर बोलोगे दोनों कि क्या प्रेम कहानी थी। स्टोरी थोड़ी बड़ी हैं , लेक़िन आपको पढ़ कर आनंद जरूर आइएगा। 


चेनाब नदी के किनारे एक खूबसूरत जगह है- तख़्त हजारा। यहाँ बहने वाले दरिया की लहरें और बगीचे की खुशबू की वजह से इसे पूरब का स्वर्ग कहा जाता है। यही रांझाओं की धरती है जो मस्ती से यहाँ रहते हैं।



हीर रांझा के प्यार की अद्भुत प्रेम कहानी | Heer Ranjha True Love Story in Hindi


इस बस्ती के नौजवान खूबसूरत और बेपरवाह किस्म के हैं। वे कानों में बालियाँ पहनते हैं और कंधे पर नए शॉल रखते हैं। उनको अपनी खूबसूरती पर गर्व है और सभी इसमें एक-दूसरे को मात देते दिखते हैं। इसी बस्ती का मुखिया था जमींदार मौजू चौधरी। वह आठ बेटे और दो बेटियों का बाप था। 


वह बहुत धनी और खुशहाल था और कुनबे में सभी उसका सम्मान करते थे। सभी बेटों में वह रांझा को सबसे ज़्यादा प्यार करता था। इस कारण रांझा के बाकी भाई उससे बहुत जलते थे।


बाप के डर से वे रांझा पर सीधे वार नहीं कर पाते थे लेकिन पीछे ताना मारते रहते थे जिससे रांझा के दिल को ऐसे चोट लगती थी जैसे सोये हुए आदमी को अंधेरे में सांप डंक मारता हो।


फिर एक अंधेरी रात ऐसी भी आई जब रांझा पर कयामत का कहर बरपा। उस रात उसका बाप मौजू चल बसा। रांझा के भाइयों और भौजाइयों ने उसपर अब खुलेआम बार-बार ताना कसना शुरू कर दिया। वे रांझा को कहते, "आलसी बैठकर रोटी तोड़ता है और दो आदमी के बराबर दूध पी जाता है, वो भी मक्खन मार के।” भाइयों ने रांझा से छुटकारा पाने के लिए षडयंत्र करना शुरू कर दिया और एक योजना बनाई।


रांझा के सभी भाई मिलकर जमीन की माप-जोख करनेवाले काज़ी के पास गए और उसे रिश्वत देकर।अच्छी जमीनों को आपस में बाँट लिया। बंजर और बेकार जमीन रांझे के हिस्से में आई। यह सब देखकर रांझा के दुश्मनों की खुशी का तो ठिकाना नहीं था। 


अब वे समाज में घूम-घूम कर कहने लगे कि अब रांझा को भाइयों ने जाल में अच्छा फांसा है। रांझा को भी वो आपमानित करते हुए कहते थे, “यह आदमी खेत कैसे जोत सकता है जिसके सर पर बड़े-बड़े बाल हैं लेकिन दिमाग में दही भरा है। ऐसे आदमी से कौन औरत शादी करेगी जो जिंदगी में।कभी कुछ नहीं कर सकता।"


रांझा की बेइज्जती करने में भाई भी पीछे नहीं थे, वे कहते, "उसने तो औरतों की तरह चूड़ियाँ पहन रखी हैं। दिन भर बाँसुरी बजाता रहता है और रात भर गाता रहता है। अगर वह जमीन को लेकर लड़ने आता है तो आने दो। देखते हैं कि क्या कर लेता है?।हम सब की ताकत के आगे वह अकेला कुछ नहीं कर सकता।"


रांझा भारी दिल लिए अपने बैलों को लेकर खेत जोतने चला लेकिन उसकी आत्मा रो रही थी और धूप की तल्ख़ी उसके दुख को और बढ़ा रही थी।।खेत जोतते हुए जब थक गया तो वह छाया में जाकर लेट गया और आराम करने लगा।


उसकी भौजाई साहिबा उसके लिए खाना लेकर आई और वह अपना दर्द उससे कहने लगा, "भौजी, मुझे खेत जोतना अच्छा नहीं लग रहा। जमीन बहुत कठोर है। मेरे हाथों में फफोले और पैरों में छाले पड़ गए हैं। पिताजी जिंदा थे तो कितने अच्छे दिन थे।।जाने वे कहाँ चले गए और ये बुरे दिन मुझे देखने।पड़ रहे हैं।"


साहिबा ताना मारते हुए बोली, “वैसे तुम तो बस अपने पिता के ही दुलारे थे। माँ के लिए तुम शर्मसार करने वाले बेटे थे।"


साहिबा की बात सुनकर रांझा को बहुत गुस्सा आया और उसने जवाब दिया,"सही कहा गया है कि औरत दगाबाज़ होती है। तुम औरतों ने समस्या खड़ी की और मुझे मेरे भाइयों से अलग करवा दिया। मैं एक खुश जिंदगी जी रहा था लेकिन तुम्हारी बुरी जुबान के कारण घर में झगड़े शुरू हुए। तुम औरतें मर्दो को उकसाती हो ताकि एक-दूसरे से लड़ पड़ें।" साहिबा ने उतनी ही तल्ख़ी से उलटकर कहा, "तुम बहुत ज़्यादा दूध और चावल खा रहे हो, इसलिए इतना घमंड दिखा रहे हो। 


एक तुम ही हो जो हमारे परिवार पर कलंक हो। अगर घर छोड़ दो और कुछ दिन भूखा मरना पड़े तो तुम्हारी ये सारी भाषणबाज़ी बंद हो जाएगी। 


तुम आलसी हो और किसी काम के नहीं हो। तुम गाँव की लड़कियों पर बुरी नज़र रखते हो। गाँव की औरतें हमें खुलेआम कहती हैं कि वे।तुम्हारे प्यार में पड़ गई हैं। तुम्हारी खूबसूरती देख ये औरतें उसी तरह फंसती हैं जैसे कि मधु में मक्खियाँ चिपक जाती हैं। औरतें तुम्हारे पीछे दिन-रात भागती हैं। तुम्हारे प्यार ने जाने कितने घरों को बर्बाद कर दिया है।"


भौजाई की जली-कटी सुनने के बाद रांझा और।भी गुस्से में आया और जवाब दिया, "सारी दुनिया जानती है कि तुम इस गाँव की सबसे झगड़ालू औरत हो और तुम इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हारे पति को इस बात का कभी डर नहीं होगा कि कोई दूसरा आदमी तुमको भगा ले जाएगा।"


क्रोध से साहिबा की आँखे लाल हो गई और उसकी सूरत पर लहराती लटें जहरीले साँप की फन की तरह हो गए।


वह बोलने लगी, “अगर हमलोग तुम्हारे लिए इतने ही बुरे हैं तो जाओ किसी सियाल की लड़की से शादी कर लो। जाओ उनके घरों के आस-पास जाकर अपनी बाँसुरी बजाओ और उनकी औरतों को फाँस लो। अगर तुमको हमारी खूबसूरती पसंद नहीं तो जाओ हीर से शादी कर लो। उसे दिन-रात तलाश करो ताकि तुम उसे अपने जाल में फँसा सको। अगर न दिन में वह हाथ न आए तो रात को घर की पिछलीनदीवार गिराकर उसे भगा ले जाओ।"


साहिबा की बातों का जवाब देने में रांझा भी पीछे नहीं हटा। कहने लगा, “तुम्हारे जैसी भौजाई को तो नदी में डूबो देना चाहिए। मैं हीर को ब्याह कर लाऊँगा और तुम्हारे जैसी औरतें उसकी नौकरानी बनेंगी।"


और यह कहने के बाद रांझा मुँह घुमाकर बैठ गया, साहिबा उसका कांधा देखती हुई बोली, "तुमको अब जल्दी से जल्दी शादी कर ही लेनी चाहिए नहींनतो हीर की खूबसूरती मुरझा गई तो बहुत देर होनजाएगी।



नइस झगड़े के बाद रांझा अपनी बाँसुरी को लेकर पिता का घर छोड़कर जाने लगा। अब वह तख़्त हजारा का पानी तक नहीं पीना चाहता था। गाँव कानएक चरवाहा दौड़ा-दौड़ा रांझा के भाइयों के पास गया और उनको इस बारे में बताया। रांझा का अपनी भाइयों और भौजाइयों से फिर सामना हुआ। रांझा के भाई कहने लगे, 'रांझा, क्या हो गया

तुमको। हमारी पत्नियाँ तुम्हारे लिए नौकरानी की तरह काम करती हैं और हम लोग तुम्हारे गुलाम हैं।न क्यूँ घर छोड़कर जा रहे हो?" भौजाइयाँ कहने लगीं, "हम खून के आँसू रोते हैं जब

तुम हमें कड़वी बातें कहते हो। हमने तुम्हारे लिए क्या नहीं किया। अपनी जिंदगी, संपत्ति...सब कुछ तो तुम पर न्योछावर कर दिया।" रांझा ने भौजाइयों को जवाब दिया, "मैं घर छोड़ने का मन बना चुका हूँ तो तुम लोग मुझे अपने इरादे से भटकाने की कोशिश क्यों कर रहे हो? बहुत दिनों से मुझे तख़्त हजारा के दाना-पानी से नफ़रत सी हो रही है। 


पहले तुम लोगों की जली-कटी सुनकर मेरा दिल जला। उसके बाद तुम सबने मुझे मेरे भाइयों से अलग करवा दिया और अब अपना असली रंग बदलकर मीठी-मीठी बातें कर रही हो। तुम सब अपने इरादों में सफल नहीं हो सकती। मैं तय कर चुका हूँ कि मुझे पिता का घर छोड़कर जाना है।"


बहुत दूर चलने के बाद रांझा एक मस्जिद के पास पहुँचा जो मक्का और यरूशलम के मस्जिद जैसा ही खूबसूरत था। भूख और ठंड के मारे उसका बुरा हाल था और वह बहुत थका हुआ था। उसने अपनी बाँसुरी निकाली और बजाने लगा। उसके संगीत से आसपास जादू सा होने लगा। 


कुछ लोग सुनकर अपना होश खो बैठे और कुछ उसकी तरफ खिंचे चले आए। पूरा गाँव उसके आसपास जुट गया। अंत में मुल्ला आया जो झगड़ालू किस्म का था।


रांझा को देखते ही वह कहने लगा, “लंबे बालों वाला यह काफिर कौन है? यहाँ ठगों के रहने के लिए जगह नहीं है। अपने बाल पहले कटवाओ ताकि तुम ख़ुदाई जगह पर रूकने के काबिल हो सको।" रांझा ने मुल्ला को जवाब दिया, "लंबी दाढ़ी से तो तुम शेख की तरह लगते हो फिर भी शैतान की तरह व्यवहार क्यों कर रहे हो? मेरे जैसे बेकुसूर यात्रियों और गरीब फकीरों को दूर क्यों भगाते हो? तुम कुरान अपने सामने रखते हो फिर भी तुम्हारे मन में इतना भेदभाव भरा है। तुम गाँव की महिलाओं को गलत राह दिखाते हो; तुम तो गायों के बीच में साँढ जैसे हो।"


मुल्ला ने पलटकर जवाब दिया, “मस्जिद ख़ुदा का घर है और तुम्हारे जैसे शैतान को इसमें रहने का कोई हक नहीं है। तुम नमाज अता नहीं करते, लंबे बाल और मूंछे रखते हो। ऐसे आदमी को तो हम पीट कर भगाते हैं। कुत्तों और तुम्हारे जैसे भीखमंगों को तो चाबुक से मारा जाना चाहिए।"

रांझा ने मुल्ला से कहा, "ख़ुदा तुम्हारे गुनाहों को माफ करे। ऐ अक्लमंद इंसान, ये बताओ कि शुद्ध क्या है और अशुद्ध क्या? गलत क्या है और सही क्या? नमाज किन चीजों से बनता है, यह कैसे अता किया जाता है और यह किसके लिए शुरू हुआ था?"


मुल्ला ने तीखे तेवर के साथ जताया कि वह मज़हब के सिद्धांतों से अच्छी तरह वाकिफ है। उसने कहा कि नमाज़ उनके लिए है जिनको खुदा पर यकीन हो और यह पाक रूहों को मुक्ति की ओर ले जाता है। लेकिन, मुल्ला ने कहा, "रांझा जैसे अनैतिक आदमी को ईमानदारों के समूह से अपमानित कर बाहर निकाला जाना चाहिए।


मुल्ला की नैतिकता पर भाषण और चालाकी भरी ये बातें सुनते ही रांझा जोर-जोर से हँसने लगा। उसको हँसते देख आसपास खड़े लोग चकित रह गए और हो सकता है कि उनमें से कुछ खुश भी हुए हों। 


गुस्से से मुल्ला लाल हो गया। उसने रांझा से कहा, "खुदा को याद करो। मैं आज की रात तुमको मस्जिद में गुजारने की छूट देता हूँ लकिन ऐ मूर्ख जाट तुम सबेरे अपना सर ढंक कर यहाँ से निकलोगे या मैं चार आदमियों को बुलाकर धक्के मारकर तुमको बाहर करूँगा।" रांझा उस रात को मस्जिद में सोया और सुबह की पहली किरण के साथ ही आगे यात्रा करने के लिए निकल पड़ा। 


हीर रांझा के प्यार की अद्भुत प्रेम कहानी | Heer Ranjha True Love Story in Hindi

उस समय चिड़िया चहचहा रही थी, किसान अपने बैलों को लेकर खेतों की तरफ निकल रहे थे और लड़कियाँ दूध के बर्तन धोने की तैयारी में लगी थी। घर की महिलाएं अनाज कूटने में लग गई थी और उनकी आवाज सुनाई दे रही थी।


दिन में तीसरे पहर जब सूरज पश्चिम दिशा में ढलने के लिए चल पड़ा, उस समय रांझा चेनाब नदी के किनारे खड़ा था। वहां कई और यात्री जमा थे जो नदी पार करवाने वाले मांझी लुड्डन का इंतजार कर रहे थे।


रांझा ने मांझी से कहा,'ऐ दोस्त, खुदा के लिए मुझे नदी पार करा दो।' लुड्डन मांझी अपने तोंद पर हाथ फेरता हुआ हंसने लगा और उसका मजाक उड़ाते हुए बोला, 'खुदा का प्यार हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता। हम तो पैसे के लिए नदी में नाव चलाते हैं।'


रांझा उससे गुजारिश करते हुए बोला,'मैं एक जरूरी यात्रा पर निकला हूँ और मंजिल तक पहुंचना बहुत जरूरी है। मैं तुम्हारे नाव की पतवार चलाऊँगा, मुझे ले चलो।'


मांझी ने जवाब दिया, 'अपने खुदा से कहो कि वह तूम्हारे पैसे चुका दे। जो पैसे देता है बस उन्हीं को मैं उस पार ले जाता हूँ चाहे वह चोर हो या डाकू। लेकिन भिखारियों, फकीरों और जो बैठे-बैठे कुत्तों की तरह रोटी तोड़ते हैं, उनको भगा देता हूँ। जो जबरदस्ती नाव पर चढ़ने की कोशिश करता है, उसे हम नदी में फेंक देते हैं चाहे वह पीर का बेटा वारिस ही क्यों न हो। बिना कुछ लिए हम नदी पार नहीं कराते।'


आखिरकार रांझा मांझी की बातों को सुनकर परेशान हो गया और कोने में जाकर बैठ गया। उसने अपनी बांसुरी निकाली और महबूब से जुदाई के गीत का धुन बजाने लगा। उसकी आँखों के किनारे से आंसुओं के गर्म झरने गिर रहे थे और लग रहा था कि दुर्भाग्य ने उसे घेर लिया है।


बांसुरी की विरह राग सुनकर सभी मर्द और औरत नाव से उतरकर रांझे के आसपास बैठ गए। लुड्डन की दो बीवियां रांझे के पांवों को दबाकर सेवा करने लगी। मांझी लुड्डन यह सब देखकर गुस्से से लाल हो गया और बोलने लगा, 'यह युवक कोई जादूगर है। इसने तो मेरी बीवियों को अपने वश में कर लिया है। हमें इस जाट के जाल से बचाओ. यह हमारी औरतों को भटकाकर ले जाएगा।


रांझा की बांसुरी ने ऐसा जादू किया था कि लोगों ने लुड्डन की बात पर ध्यान ही नहीं दिया। बांसुरी बजाते-बजाते जब रांझा के दिल को थोड़ी राहत मिलने लगी तो उसने आस-पास घेरे लोगों को नजरअंदाज करते हुए अपना जूता उठाया और नदी के पानी में उतरने लगा।


उसे ऐसा करते देख लोग कहने लगे, 'नहीं, नहीं, नदी में मत उतरो। चेनाब की धार गहरी और बहुत तेज है। इसकी गहराई को कोई नहीं माप सका। एक।क्षण में यह नदी जान ले सकती है।' लुडुन की बीवियों ने रांझा के कपड़े का छोड़ पकड़।लिया और उसे लौटने को कहने लगी। लेकिन रांझा

ने सबसे कहा, 'जिसकी जिंदगी कष्ट में हो, वह मर जाए, यही सही होगा। वे खुशनसीब हैं जिनसे उनका।घर-बार नहीं छूटता। मेरे मां-बाप नहीं रहे तो भाइयों ने मुझे दुख देकर घर से निकाल दिया।


रांझा ने अपने कपड़ों को सर पर रख लिया और अपनी आत्मा को मजबूत करते हुए नदियों के खुदा का नाम लिया और पानी में चलने लगा।


लोग उसकी तरफ दौड़े और उसे पकड़ कर वापस ले आए। लोग उसे जोर-जोर से कहने लगे, 'भाई, मत जाओ, निश्चित रूप से तुम नदी में डूब जाओगे। हम तुमको अपने कांधों पर ले चलेंगे। हम सब तुम्हारे सेवक हैं और तुम हम सबके प्यारे हो।' रांझा के बांहों को उन लोगों ने पकड़ा और खींच कर नाव पर लाया।


नाव पर लाकर रांझा को सबने हीर की गद्दी पर बिठा दी। रांझा गद्दी की खूबसूरती देखकर इसके बारे में पूछने लगा तो लोगों ने बताया कि यह एक बेहद खूबसूरत लड़की इस पर बैठती है। वह मीर चूचक की बेटी है। माहताब से भी ज्यादा चमकता हुस्न है उसका। उसके हुस्न के कयामत से परियों की रानी तक खौफ खाती हैं। एक बार जो उसके जादू में गिरफ्तार हुआ, वह धरती पर आवारा हो गया। 


वह सियालों के लिए गर्व करने की चीज है। उसका नाम हीर है। रांझा ने बिना किसी भेदभाव के, बड़े-छोटे, अमीर-गरीब; सबसे उस गद्दी पर बैठने की गुजारिश की। वे सब रांझा के आस-पास उसी तरह बैठ गए जैसे कि शम्मे को चारों तरफ से परवाने घेर लेते हैं। अब लुड्डन रांझा को उस पार न ले जाने की बात को यादकर पछता कर रहा था।


वह कहने लगा, 'मुझे डर लगने लगा था कि कहीं यह डाकू बांसुरी के जादू से मेरी बीवी को लूटकर न ले जाए।' नाव पर लोग रांझा से उसकी जिंदगी के बारे में पूछने लगे। कहां से आए हो? घर क्यों छोड़ दिया? तुम तो बड़े कमजोर दिख रहे हो, क्या किसी ने तुमको कुछ खाने-पीने को नहीं दिया।


रांझा ने सबको अपनी पूरी कहानी सुनाई और कहा, 'मैं अपने मां-बाप का दुलारा था लेकिन खुदा को यही मंजूर था जो अब मेरे साथ हो रहा है।' नाव के उस पार जाने के बाद लोग गांवों में रांझा का किस्सा सुनाने लगे। उसके।बांसुरी के जादू के बारे में सबको बताने लगे। वे कहते,'जब वह बोलता है।तो उसकी जुबां से फूल झड़ते हैं। लुडुन की बीवियां तो उससे प्यार करने लगी और वह हीर की गद्दी पर बैठा।


हीर जितनी खूबसूरत थी, उसकी सखियां उतनी ही हसीन थीं। दुनिया में शायद ही कोई नस्ल होगी जो खूबसूरती में सियालों के कुनबे की इन हसीनाओं का मुकाबला कर सकती थी। 


हीर को अपने हुस्न पर बड़ा नाज़ था। उसके कानों में मोतियों से बने झुमके चमक रहे थे। हीर का हुस्न अपने आप में कयामत की तरह था। उसको देखते ही लोग जमीं और जन्नत को भूल जाते थे। ओ कवि, तुम कैसे हीर के हुस्न का बखान करोगे? मुहब्बत से भरी उसकी आंखें जूही के फूल सी नर्म दिखती थी। उसके गाल गुलाब की पंखुरियों से कोमल थे। उसके होठों की लाली देखकर लोग खुदा, ,खुदा करके रोने लगते थे। हीर और सखियां नदी में नहाने आईं। 


वे सब उस नाव के पास आईं तो सबने देखा कि हीर की गद्दी पर कोई मासूम सा युवक लाल शॉल ओढ़े सोया है। हीर की नजर जैसे ही रांझे पर गई वह गुस्से से लाल हो गई।


उसने क्रोध में आकर लुड्डन स कहा, 'लुडन, बदमाश! मेरी गद्दी का अपमान करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? तुमने किसको उस पर सुलाया है? क्या तुम मेरी इज्जत नहीं करते या खुदा के डर से तुमने ऐसा किया है?' 


लुड्डन हाथ जोड़कर कहने लगा,'मुझे माफ करो, मैं बेकसूर हूं। मैंने इस लड़के को यहां सोने के लिए नहीं कहा। यह बिन बुलाए मेहमान की तरह यहां आया। इसके बांसुरी की धुन ने हम सब के दिल पर जादू कर दिया। अपने हुस्न पर इतना गुमां न करो, शहजादी। अपने सेवकों पर जुल्म तो न करो। तानाशाह भी खुदा से डरते हैं।'


हीर का गुस्सा कम नहीं हुआ। उसने जवाब दिया,'इस लड़के को कोई परवाह नहीं कि इसने कितना बड़ा गुनाह किया है। क्या यह नहीं जानता यह फिलहाल वहां है जहां मेरे पिता चूचक का साम्राज्य है? मैं किसी की परवाह नहीं करती चाहे वह शेर हो या हाथी या फिर किसी सामंत का बेटा। यह है कौन? मेरे पास तो इसके जैसे हजारों गुलाम हैं और ऐसे लोगों की मैं कोई परवाह नहीं करती।'


लुड्डन को खरी-खोटी सुनाने के बाद हीर रांझा कीत रफ मुड़ी। वह गुस्से में जोर से बोली, 'ऐ सोनेवाले, मेरे बिस्तर से उठ जाओ। कौन हो तुम और सोने के लिए तुमको मेरा ही बिस्तर मिला? 


मैं दिनभर सखियों के साथ यहां खड़ी देख रही हूं। मुझे बताओ कि तुम घोड़े बेचकर क्यों सो रहे हो? क्या तुम्हारे बुरे दिन आ गए हैं जो तुम चाबुक खाने के लिए यह खतरा उठा रहे हो? क्या तुमको रातभर नींद नहीं आई जो तुम खर्राटे मार रहे हो? या तुम ये सोचकर बेपरवाह होकर इस बिस्तर पर सो गए जैसे कि दुनिया में

इसका कोई मालिक ही न हो? हीर के इतना चिल्लाने के बावजूद जब रांझा की नींद नहीं खुली तो उसने अपनी सेविकाओं को उसे जबर्दस्ती उठाने को कहा। 


हुस्न की शहजादी हीर का गुस्सा बेकाबू हो चुका था।


तभी रांझा ने अपनी आंखे खोली और उठकर कहने लगा, 'मेरे साथ नजाकत से पेश आओ, ऐ खूबसूरत शहजादी' रांझा के बोल सुन हीर का गुस्सा उसी तरह पिघल गया मानो कश्मीर के बर्फ पर जेठ की जलती धूप पड़ गई हो। रांझा की एक बांह में बांसुरी लटकी थी और कानों में उसने कुंडल पहन रखे थे। 


रांझा का सौंदर्य उस वक्त पूनम के चांद की तरह चमक रहा था। हीर और रांझा की आंखें चार हुईं और मुहब्बत के मैदान में एक दूसरे से टकराने लगीं। हीर का दिल खुशियों के सागर में गोते खाने लगा। हीर रांझा से सटकर उसी तरह जा बैठी जैसे कि तरकश में तीर पनाह लेती है। दोनों एक दूसरे से प्यार से बातें करने लगे। 


मुहब्बत वहां मैदान मार ले गई। हीर को अपने दिल पर वश न रहा जैसे वह अपने होशोहवास खो बैठी थी। वह अपने हुस्न पर नाज करना भूलकर रांझा पे अपना सब कुछ वारने को तैयार हो गई।


हीर रांझा से कहने लगी, 'मैंने ना तो तुम्हें पीटा और ना ही कुछ ऐसा कहा जो तुमको बुरा लगे'


रांझा ने जवाब दिया, 'यह दुनिया एक सपने की तरह है। ऐ खुद पर नाज पर करने वाली शहजादी, तुमको भी एक दिन यहां से जाना है। तुमको किसी अजनबी से ऐसा सुलूक नहीं करना चाहिए। किसी गरीब को नहीं दुत्कारना चाहिए। ये लो तुम्हारा बिस्तर और गद्दा, मैं जा रहा हूं...फिर कभी नहीं दिखूगा।' रांझा ने इतना कहा ही था कि हीर बोल पड़ी, 'अब ये हीर तुम्हारी है। मैं अपनों के बीच भटक रही थी लेकिन मुझे कोई रास्ता दिखाने वाला अब तक नहीं मिला। लेकिन अब खुदा ने तुमको मेरे लिए भेज दिया है।'


रांझा ने जवाब दिया, 'ऐ खूबसूरत लड़की, आशिक और फकीर हमेशा प्यार के बोल से वश में आते हैं। तुम्हारे हुस्न के शराब ने मेरे होश जरूर खराब किए हैं लेकिन तुम्हारे दिल में मेरे लिए इज्जत नहीं है।' हीर ने कहा, 'मैं तेरी गुलाम हूं। मुझे बताओ मेरे मीत, तुम कब से इधर आए हो? क्या किसी घमंडी औरत ने तुमको घर से निकाला है? तुम क्यों यहां-वहां भटक रहे हो? 


तुम कौन हो? किस औरत से तुमने शादी की जिसने तुमको छोड़ दिया और जिसके लिए तुम इतने दुखी हो? तुम्हारी आंखें तो हिरन की आंखों की तरह नाजुक हैं। तुम जब बोलते हो तो फूल झड़ते हैं। मैं तुम्हारी गुलाम हो चुकी हूं। मेरे मितवा, क्या तुम मेरे पिता के यहां काम करना पसंद करोगे। तुमको भैंसों को चराना होगा। मेरे घर में तुम नौकर की हैसियत से रहोगे। क्या तुमको मेरी ये योजना पसंद है?' रांझा बोला, 'मैं रांझा, जात का जट हूं। तख्त हजारा से आया हूं। मैं चौधरी मौजू का सबसे प्यारा बेटा था। 


लेकिन पिता के मरने के बाद मेरे भाइयों ने मुझसे

 सब कुछ छीन लिया। अगर तुमको इस बात से खुशी

मिलेगी कि मैं तुम्हारे यहां काम करूं तो तुम्हारी पलकों की छांव में रहते हुए यह जरूर करूंगा। और, तुम्हारा दिल जो चाहेगा मैं वही करूंगा। लेकिन मैं तुमसे कैसे मिल पाऊंगा? तुम तो अपने सखियों से साथ मुझे अकेला छोड़ चली जाओगी और मैं तन्हा मरता रहूंगा। कोई उपाय बताओ।'


हीर ने कहा, 'मैं तुम्हारी खिदमत में हमेशा रहूंगी रांझे और मेरी दासियां तुम्हारा हुक्म बजाएंगी। चार आंखों और होठों के मिलन के लिए जंगल से बेहतर और कौन जगह हो सकता है? इश्क की मंजिल तो दो प्रेमियों का मिलन है। खुदा ने मुझे आशिक के रूप में तुमको दिया है और मैं रिश्ते-नाते-दुनिया सबको भूल चुकी हूं।


रांझा ने जवाब दिया, 'हीर, तुम तो अपनी सखियों के साथ मौज करोगी और मैं तुम्हारी हवेली में उदास अकेला भटकता रहूंगा। कोई मुझ पर ध्यान नहीं देगा। मुझसे छल मत करो। अगर तुम सच्ची हो तो अपनी बात याद रखना। अजनबी को सहारा देकर एक दिन मुंह मत फेर लेना।

हीर ने जवाब दिया, 'मैं कसम खाती हूं रांझे कि अगर मैंने तुमको धोखा दिया तो खुदा मुझसे मेरे मां-बाप छीन ले। तुम्हारे बगैर मैं खाने की तरफ नजर तक नहीं उठाऊंगी। मैं अपना प्यार तुम्हारे सिवा और किसी को नहीं दूंगी। 

अगर मैं तुम्हारे सिवा और किसी को अपना पति चुनूं तो मैं अंधी हो जाऊं।' रांझा ने फिर कहा, 'हीर, इश्क का रास्ता बहुत मुश्किल है। मेरा दिल उलझन में है। इश्क तलवार से

भी ज्यादा खौफनाक है, जहरीले सांप के विष से भी ज्यादा जहरीला है। मुझसे वादा करो कि तुम सच्ची हो तो।'


हीर रांझा को सच्चे प्यार का यकीं दिलाकर अपने पिता चूचक के पास ले आई। पिता के सामने हीर रांझा के ठीक बगल में खड़ी हुई। हीर पिता से बोली- मेरे अब्बू, आपके खातिर मेरी जान भी चली जाए तो कम है। आपकी छांव में

रहकर मैं इतनी खुश जिंदगी जी रही हूं। मैंने आपके लिए एक चरवाहा खोजा है जो हमारे भैंसों की देखभाल कर सकता है।


हीर ने जैसे ही रांझे के बारे में पिता चूचक से बात की। वह हीर को रांझा से अलग ले जाकर मुस्कुराते हुए बोले- 'बेटी, कौन है यह बंदा और कब आया है? यह तो बदन से इतना कोमल दिख रहा है कि छू दो तो लाली पड़ जाए। यह भैंसो की देखभाल का काम नहीं कर पाएगा। यह तो खाते-पीते घर का लग रहा है। यह खुद को भैंसों का मालिक समझ लेगा और हमारा नौकर बनकर नहीं रहेगा। उसके चेहरे पर खुदा का नूर है। क्यों न हम उसे भेड़ों की देखभाल करने का काम दें।' 


हीर पिता की बात सुनकर बोली, 'हां अब्बू, रांझा अच्छे खानदान से है। वह तख्त हजारा के चौधरी का बेटा है। वह हीरा है जो मुझे मिला है।'नचूचक बोले, 'वह तो मासूम लड़का है जो आंखों से बुद्धिमान और देखने में विनम्र लग आ रहा है। लेकिन वह इतना उदास क्यों है और उसने घर क्यों छोड़ा? वह अपने अंदर कोई झूठ तो नहीं छिपार हा?'


पिता के अंदर रांझा के बारे शक देखकर हीर ने उसकी जमकर तारीफ शुरू कर दी। ‘अब्बू, वह इतना पढ़ा-लिखा है कि अफलातून (प्लेटो) को भी हरा दे। 


वह भरी सभा में बेधड़क बोल सकता है और हजारों मामलों पर फैसला सुना सकता है। वह नदी में भैंसों को पार करा सकता है और चोरी होने पर उसे खोजकर ला सकता है। वह जान लगाकर काम करेगा। वह इस देश में हजारों में एक है जहां ज्यादातर काम करने वाले चोर हैं और अच्छे लोग कम ही हैं। वह हर हालत में अपना कर्तव्य निभाना जानता है।


बेटी की बात सुनकर प्यार से चूचक बोले,'तुम तो बहुत जोश से उसकी वकालत कर रही हो। देखते

हैं यह लड़का कैसा निकलता है? तुम्हारी बात हमें मंजूर है। हम इसके हवाले अपने भैंसों को करते हैं लेकिन उससे यह बोल दो कि भैंसों को संभालना आसान काम नहीं है।' हीर अपने मां के पास गई और बोली, 'मां, हम सब बहुत दिनों से जिस मुश्किल को झेल रहे थे, वह अब आसान हो गई है। 


अब हमारे जानवर मालिक के बिना नहीं रहेंगे और वह जंगल में रास्ता नहीं भटकेंगे। एक जाट को मैं अपनी मीठी बातों से बहलाकर, मनाकर लाई हूं। वह दिल का हीरा है। वह हमारे जानवरों का सही से देखभाल करेगा।'


इसके बाद हीर रांझा के पास आई और प्यार से उसे समझाते हुए सारी बातें बताईं। गांव के लड़के रांझा को देखकर हंसने लगे और उससे कहने लगे, 'अब तुमको जिंदगी भर दूध और मलाई खाकर जीना पड़ेगा।'


इस पर हीर रांझे से बोली, 'तुम इन लड़कों की कड़वी बातों का बुरा मत मानना। मैं तुम्हारे लिए मीठी रोटियां, मक्खन और चीनी लाया करूंगी। जंगल मे खुदा के करम से जंगल में चारों तरफ इस मौसम में घास ही घास थे। भैंसे इस तरह से कतार बनाकर चल पड़ी जैसे लगा कि जमीन पर काला सांप रेंग रहा हो और रांझा अब उनका मालिक बनकर साथ चल रहा था।


रांझा ने खुदा का नाम लिया और जंगल में भैंसों को लेकर घुसा। धूप में चलते हुए रांझा गर्मी से बेहाल था और बहुत परेशान था। इस परेशानी की घड़ी में उसकी मुलाकात पांच पीरों (साधु) से हुई। पीरों ने परेशान रांझा को दिलासा देते हुए कहा, 'बच्चे, भैंसों का दूध पीओ और अपने मन से सारी उदासी को निकाल फेंको। खुदा सब कुछ ठीक कर देगा।' रांझा बोला, 'मैं बहुत मुश्किल में हूं। मुझे मेरी हीर दिला दिला दो।


उसकी मुहब्बत की आग मुझे जलाकर खाक बना रही है।' पीरों ने रांझे से कहा, 'बच्चे, तुम्हारी हर आरजू पूरी होगी। तुम्हारा तीर निशाने पर जाकर लगेगा और तुम्हारी कश्ती को किनारा मिलेगा। हीर को खुदा ने तुम्हारे लिए बनाया है। मेरे बच्चे, जब कभी परेशानी में रहना, तुम हमें याद करना। घबराना मत, तुम्हारा कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं पाएगा।' पीरों की बात सुनकर रांझा की परेशानी दूर हो गई। वह भैंसों को जंगल में हांकता रहा। भैंसे भी उसके साथ रहकर खुश दिख रही थीं और जोर-जोर से बोलकर इस बात को बता रही थी।



हीर रांझा की जंगल में मुलाकात हीर रांझा के लिए खाना लेकर सियालों के गांव से जंगल की ओर चली। हीर स्वर्ग से उतरी उन सौंदर्य के बादलों की तरह थी जो रेगिस्तान को चंदन के पेड़ों से हरा-भरा कर उसमें खुशबू भर सकती थी। हीर उस रूह की तरह रांझे की ओर जा रही थी जिसको पाकर मृत शरीर जी उठता है।


वह रांझे के पास अपने दिल में उठ रहे इश्क के तूफान को शांत करने के लिए जा रही थी। अब रांझे के प्यार में हीर पूरी तरह कैद हो चुकी थी। वह रांझे के लिए चावल, चीनी, मक्खन और दूध लेकर आई। रांझा जैसे ही दिखा, उसकी आंखों में आंसू भर आए और वह रोते हुए कहने लगी- मैं तुम्हारी तलाश में पूरे जंगल में भटकती फिरी। हीर ने रांझे को बड़े प्यार से खाना परोसा। रांझा उससे कहने लगा- मजहब में ऐसा कहा गया है कि औरतों के वादों पर यकीन नहीं करना चाहिए। लेकिन हीर, अगर तुम अपना वादा निभाओगी तो रांझा तुम्हारे लिए नौकर होने का गम भी बर्दाश्त कर जाएगा।


हीर ने जवाब दिया- औरतों की कौम के बारे में ऐसी बातें न करो। औरतों की तरह लगातार अपनी बातों पर दृढ़ रहने वाला और कोई नहीं होता। जोसफ के इश्क में जुलैखा ने अपना साम्राज्य छोड़ दिया। महिवाल के प्यार में सोहनी नदी में डूब गई। लैला की मुहब्बत से सारा जहान वाकिफ है। पुन्नु में जलते रेगिस्तान में भटकते हुए सस्सी का दम ।



क्या आदम और हव्वा एक जैसे नहीं थे?के प्यार हीर ने आगे कहा- मर्द औरतों की तरह मजबूत नहीं होते। कवियों से पूछो, वह इस बात को बखूबी जानते हैं। मैं तुमसे वादा करती हूं कि जब तक मेरी नसों में लहू बह रहा है तब तक मैं तुम्हारी गुलाम बनकर रहूंगी। इस तरह से हीर मीठी-मीठी बातों से रांझे के सवालों का सामना करती रही और अपना दिल खोलकर उसके सामने रख दिया। हीर बोली- जब हम दुश्मनों से घिर जाएंगे, तब तुम पूरे धैर्य के साथ जंग लड़ना।


प्यार के समंदर में किस्मत की ऐसी जबर्दस्त लहरें हैं जो हमें या तो साहिल तक पहुंचाएंगी या हमें डूबो देंगी। मेरे दुष्ट चाचा कैदु से सावधान रहना। वह शैतान जैसा है। दुनिया हमें अपमानित करेगी। जो हमें नहीं जानते वे।भी हमारे ऊपर ताने कसेंगे। लेकिन सच्चे आशिक इन सब बातों से नहीं डरते। वो इश्क में जान तक दे दे देते हैं। प्यार करने वालों का खुदा के अलावा कोई मददगार नहीं होता।


अब हीर रोज खाना लेकर रांझा के पास जंगल में जाने लगी और उसने सच्चे प्रेमी होने की कसम खाई। हीर ने चरखा कातना छोड़ दिया और सखियों के साथ उसका उठना-बैठना भी छूट गया। वह रांझा के साथ दिनभर रहने लगी। रांझे की संगत में उसने खुद को आजाद छोड़ दिया।



चरवाहे रांझे के इश्क में हीर के गिरफ्तार होने की खबर गांव में तेजी से फैली। यह भी सभी जान गए कि हीर रोज रांझे से मिलने जाती है। हीर की मां तक बात पहुंची तो वह बहुत गुस्से में आई। कैदु ने।भी हीर को जंगल में रांझा के साथ देख लिया। हीर जंगल से जब वापस लौटी तो मां ने डांटते हुए कहा, 'गांववालों के ताने सुनकर हम जहर का चूंट।पीकर रह गए।   तू मेरे कोख से पैदा नहीं होती तो।अच्छा होता। अगर तुम अपनी दुष्टता नहीं छोड़ोगीनतो पिता चूचक और तुम्हारा भाई सुल्तान तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर देंगे।" हीर ने जवाब दिया, 'सुनो मां, मेरी सांसें जब तक चल रही हैं, मैं रांझा को नहीं छोड़ सकती।



मैं भले ही मार दी जाऊं। इस तरह से मरने के बाद मैं।लैला-मजनू जैसे आशिकों से मिल पाऊंगी जो इश्क के खातिर कुर्बान हो गए। हीर की बात सुनकर मां का गुस्सा सातवें आसमान पर था। मां ने कहा, 'अब तक मां-बाप ने तुम पर जो प्यार लुटाया, उसका यह सिला तुम दे रही हो बेटी। हमने सोचा था कि अपनी बगिया में हमने गुलाब का पौधा उगाया है लेकिन तुम तो कांटों की।झाड़ निकली। तुम रांझा से रोज मिलने जाती हो और उसके लिए खाना भी ले जाती हो।


मां-बाप की।हिदायत का तुमने जरा भी ख्याल नहीं रखा। जो बेटियां काबू में नहीं रहती, लोग उनको वेश्या कहते हैं।' हीर ने अपनी मां को बातों को अनसुना कर दिया और रांझा से मिलने रोज जंगल में जाती रही। इधर लंगड़ा कैदु हीर के पिता चूचक के कान भरता रहा और हीर पर पाबंदी लगाने के लिए उकसाता रहा। वह जंगल में हीर और रांझे पर जासूसों की तरह नजर रखने लगा।


वह छुपकर हीर का पीछा करता। आखिरकार कैदु को अपनी कुटिल योजना को अंजाम देने का मौका मिल गया। हीर रांझे के लिए पानी लाने के लिए नदी की ओर गई। रांझा अकेला बैठा था तभी कैदु फकीर के वेश में उसके पास आया और खुदा का नाम लेकर मांगने लगा। रांझा ने उसे फकीर समझकर आधा खाना उसे दे दिया। कैदु ने फकीरों की तरह उसको दुआ दी और खाना लेकर गांव की ओर चल पड़ा, जब हीर नदी से पानी लेकर वापस लौटी तो उसने रांझा के पास आधा खाना देख उससे पूछा। रांझा ने बताया कि एक लंगड़ा कर चलने वाला फकीर उसके पास आया था जिसे उसने आधा खाना दे दिया।


हीर सारा माजरा समझ गई। उसने रांझा से कहा,।'तुम्हारी बुद्धि कहां चली गई है? वह फकीर नहीं मेर।दुष्ट चाचा कैदु था जो मुझे बर्बाद कर देना चाहता है मैंने तुमको पहले ही सावधान किया था। कैदु शैतान है। वह पति-पत्नियों और मां-बेटियों में फूट पैदा कर देता है।

 

वह बहुत बड़ा पाखंडी है। वह सुबह को अपने दोनों हाथों से जिस चीज को संवारता है, रात को अपनी लात से उसे उजाड़ देता है। वह हमारे प्यार भरी दुनिया में जहर घोल देगा।' रांझा ने हीर को जवाब दिया, 'कैदु अभी-अभी यहां से गया है और वह बहुत दूर नहीं गया होगा। जाओ और कुछ भी करके उसे रोको।' हीर का दिल कैदु के खिलाफ नफरत और गुस्से से भर आया और वह उसे पकड़ने के लिए दौड़ी।  वह जल्दी ही कैदु के पास पहुंच गई और बाघिन की तरह उसपर टूट पड़ी। हीर ने कैदु की फकीरी टोपी उतार फेंकी, मनकों की माला तोड़ डाली। हीर कैदु को बेतहाशा पीटने लगी जैसे पत्थर पर धोबी कपड़ा पटकता है।


हीर गुस्से से उबल रही थी। वह कैदु पर चिल्लाते हुए बोली, 'तू रांझे को धोखा देकर खाना ले आया लेकिन मुझसे कैसे बचेगा। अपनी जान की खैर चाहते हो तो लौटा दे मुझे खाना, नहीं तो तेरे हाथ-पैर बांध कर पेड़ से लटका दूंगी। औरतों से झगड़ा मोल मत लो।


कैदु हीर से किसी तरह से खुद को बचाता खाना लेकर भागा और सीधे गांव पहुंचा। गांव के बड़े बुजुर्गों की पंचायत में कैदु खाना दिखाकर कहने लगा, 'देखो, इसे खिलाने हीर रोज रांझा के पास जाती है  क्या अब भी तुमलोग मेरी बात पर यकीन नहीं करोगे। हीर पूरे गांव को बदनाम कर देगी। अरे, कोई उसके बाप चूचक से क्यों नहीं कहता कि बेटी को बांध कर रखो। चूचक को तो उस दिन पर पछतावा करना चाहिए जब उसने इस चरवाहे को काम पर रखा था। क्या उसका दिमाग घास चरने चला गया था।'


कैदु की बात सुनकर पंचायत के लोगों ने जाकर चूचक को सारी बातें बताई। चूचक कैदु को कोसने लगा। 'कैदु झूठी कहानियां बनाता रहता है। उसके पास करने को और कोई काम नहीं है। दिनभर मक्खियां मारता रहता है,
चोगा पहन लेने से क्या वो फकीर हो जाएगा। वह हीर के खिलाफ अपनी जुबान से आग क्यों उगल रहा है। हीर जंगल में अपनी सहेलियों संग खेलने जाती है।' लेकिन गांव की औरतें चूचक की इस बात का मजाक उड़ाते हुए हीर की मां से कहने लगीं, 'तुम्हारी बेटी खराब हो रही है। उसकी करतूतों से हम सबका कलेजा जलता है।


उसकी बेशरमी की चर्चे पूरे इलाके में हो रहे हैं। अगर हम कुछ कहें तो हम पर वो चिल्लाने लगती है। उसका घमंड तो राजकुमारियों जैसा है। मस्जिद जाने के बहाने वह जंगल जाकर कोई और ही पाठ पढ़ती रहती है। हीर की वजह से हमारी बेटियां भी खराब हो जाएंगी।'


अब कैदु हीर की मां से कहने लगा, ‘भगवान के लिए अपनी बेटी की शादी कर दो। काजी हमेशा कहता रहता है कि इस बहकी हुई लड़की की शादी हो जानी चाहिए थी। नहीं तो फिर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दो और गांव को बदनामी से बचाओ।' लोगों के ताने सुनकर हीर की मां आपा खो बैठी।



उसने तुरंत हीर को बुलाने के लिए घर में काम करने वाली मीठी को भेजा। हीर मां के पास हंसते हुए आई और बोली, 'मां, देखो मैं आ गई।' हीर की मां गुस्से में बोली, 'बेशरम लड़की, इस प्रेम कहानी के लिए तो तुमको बहते दरिया में फेंक देना चाहिए।


जवान लड़की जो पिता के घर से बाहर कदम रखे उसे कुएं में डुबोकर मार देना चाहिए। तुम अपने प्रेमी के लिए इतनी उतावली हो हीर, अब तुम्हारे लिए पति लाना होगा। अगर तुम्हारे भाई यह जानेंगे कि तुम क्या गुल खिला रही हो तो वो तुम्हारे गला घोंट देंगे या तलवार से काट डालेंगे। अपने परिवार का नाक क्यों कटा रही हो हीर।'



हीर की मां मीठी से बोली, 'मीठी, हीर के सारे जेवर उतार लो। ऐसी बेटी को जेवर देकर क्या फायदा। यह पूरे झांग सियालों के सम्मान को ठेस लगाने पर तुली है। उस चरवाहे को तो हम आज ही निकाल देंगे।' मां की बात सुनकर हीर बोली, 'मां, ये तो खुदा की इनायत है कि उसने तुम्हारे घर ऐसे चरवाहे को भेजा। इस खजाने के लिए तो पूरे समाज को खुदा का शुक्रिया करना चाहिए। हमारे पास तो किस्मत खुद चलकर आया है।

 

तुमलोग मेरे प्यार पर इतना हंगामा क्यों खड़ा कर रहे हो। क्या तुम्हें पता नहीं कि आग, दर्द और प्यार को छिपाकर रखा जाता है।' हीर ने मां-बाप के सामने रांझा को ठुकराने से इंकार कर दिया। हीर की मां ने पति चूचक से कहा, 'देखो, तुम्हारी बेटी आज मां-बाप को आंखे दिखा रही है। हमारे सारे रिश्तेदार तो इसी मौके की तलाश में बैठे हैं। वह अब इस बारे में चटखारे लेकर बातें करेंगे और हम पर ताना मारेंगे।


इस लड़की ने सियालों की इज्जत को धूल में मिला दिया।' चूचक गुस्से में बोल पड़ा, 'दूर ले जाओ इस लड़की को मेरे सामने से। इसे धक्का देकर गांव से बाहर फेंक आओ। यह नफरत के ही लायक है। जनम लेते ही इसको जहर दे देना चाहिए था।


रांझा जब गाय भैंसों को लेकर जंगल से लौटा तो देखा कि चूचक गुस्से में उसकी राह तक रहा था। चूचक ने रांझे को रिश्तेदारों के सामने ही बुरा बुरा कहना शुरू कर दिया। चूचक कहने लगा, ‘गायों को छोड़ दो रांझे और यहां से दूर चले जाओ।तरफ हो रहे हैं। मैंने तुमको गायों के बीच सांढ़ बनने के लिए नौकर नहीं बनाया था। तुमको गायों को जंगल ले जाने को कहा था और तुम लड़कियों को ले जाने लगे। तुम्हारी वजह से पूरे गांव के ताने हमें सुनने को मिले है


यह सुनते ही रांझा का मिजाज भी काबू में न रहा। वह भी झल्लाते हुए चूचक से बोला, 'खुदा करे, चोर-डकैत तुम्हारे गाय बछड़ों को ले जाएं। मैं तुम्हारे गाय भैंसों की देखभाल करता था या लड़कियों की। इतने दिनों से मैं खट रहा हूं और अब तुम बिना।पैसा दिए मुझे टरकाना चाहते हो। बनिया की तरह मुझे लूट रहे हो।

“

रांझा नौकरी छोड़ चला गया। लेकिन उसके जाते ही।चूचक के गाय भैंसो ने खाना पीना छोड़ दिया। उनमें से कुछ जंगल में गायब होने लगे तो कुछ गए। चूचक को अब रांझा को निकालने पर पछतावा हो रहा था। नदी में डूब हीर अपनी मां मिल्की से बोली, 'देखो चरवाहे के जाने के बाद गाय भैंसों की हालत कितनी खराब हो गई। लोग भी कह रहे हैं कि पिताजी ने रांझे के साथ ठीक नहीं किया।' मिल्की पति चूचक से बोली, 'लोग हमें पापी समझ रहे हैं। हमने चरवाहे को बिना वेतन दिए भगा दिया।


जैसे ही उसने पैसे की बात की थी तुमको दे देना चाहिए था। जाओ उसे खोज लाओ।'।चूचक ने मिल्की से रांझा को मनाने को कहा। बोला।'उससे कहो कि जब तक हीर की शादी न हो जाए वह हमारे गाय भैंसों की रखवाली करे। उसे मजा लेने के लिए छोड दो। किसको क्या पता है कि खुदा को क्या मंजूर है। लेकिन चरवाहे को किसी भी तरह से फिर से काम करने के लिए राजी करो।' मिल्की हीर संग अब रांझा को तलाशने में लगी। रांझा जैसे ही मिला मिल्की उससे मीठी मीठी बातों से मनाने लगी, 'चूचक के साथ हुए झगड़े को दिल पर मत लो।

 

पिता और बच्चों में तो इस तरह से छोट मोटे झगड़े होते ही रहते हैं। काम पर लौट जाओ। गाय भैंसों की देखभाल भी करो और हीर की भी।सेवा करो। जबसे तुम गए हो वह हमसे नाराज रहती।है। हमारी गाय भैंसे, धन दौलत, हीर, सबपर तुम्हारा हक है।'।हीर ने भी रांझे के पास जाकर कहा, 'तुम मेरी मां।की बात मान लो। अभी मेरी शादी तय नहीं हुई है।


कौन जानता है कि कल ऊंट किस करवट बैठे।' रांझे ने हीर की मां की बात मान ली और फिर से चूचक के यहां काम करने लगा। अब रांझा के लिए जंगल में हीर रोज खाना और शरबत लेकर जाती। इश्क में हीर रांझे पर अपना सबकुछ वार चुकी थी। एक दिन जब हीर रांझा साथ थे तभी जंगल में पांच पीर फिर दिखाई दिए। रांझा पहले भी उनसे मिल चुका था।


पांचों पीर का रांझा ने सर झुकाकर अभिवादन किया। पीर बोले, 'बच्चों, हमें तुम दोनों को साथ देखकर खुशी मिली। इश्क की दुनिया को कभी मत उजाड़ना। तुम हीर के हो और हीर तुम्हारी है। तुम्हारे इश्क से जमाने में हंगामा खड़ा होगा। लोग ताने देंगे लेकिन उन सबका बहादुरी से सामना करना। खुदा को दिन रात याद करना और इश्क करना कभी मत छोड़ना।"

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