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बेटे और पिता की कहानी Son Father Story in Hindi
बेटे और पिता की कहानी Son Father Story in Hindi
आज फादर्स डे है. पिता के अनन्य प्रेम और समर्पण को याद करने का दिन. पिता के कंधे जितने मजबूत होते हैं, उतना ही उनका मन कोमल होता है. उनकी अंगुली पकड़कर हम चलना सीखते हैं. यदि पिता हमारे पीठ पर हाथ रख दें, तो मन आत्मविश्वास से भर जाता है, नैराश्य के अंधेरों से उजाले की ओर ले जानेवाले विश्वास हैं पिता।
पिता कठोर फसलों के साथ जीना सीखाते हैं. पापा का कठोर होना बच्चों के प्रति भले ही भय का बोध कराता है, लेकिन कहीं न कहीं बच्चे इससे मजबूत बनते हैं और जिंदगी की वास्तविकता को समझते हैं. पापा के कठोर निर्णय के पीछे उनका बेपनाह प्यार छुपा होता है. आज हम ऐसे ही कुछ मिसाल पिताओं की संघर्ष की कहानी बयां कर रहे हैं.
कहते हैं कि दुनिया में मां और बच्चे का रिश्ता सबसे बड़ा होता है. मां बच्च को जन्म देती है, उसे बड़ा करती है, लेकिन एक पिता उसके भविष्य को संवारने में अहम भूमिका निभाता है. ये बात और है कि कई बार बच्चे के लिए पिता की कोमल भावनाएं प्रदर्शित नहीं हो पातीं, मगर सच यही है बच्चे के जीवन में पिता की भूमिका मां से अधिक नहीं, तो कम भी नहीं. आप किसी छोटे बच्चे से पूछ कर तो देखिए कि वह किससे ज्यादा प्यार करता है, मां से या पापा से ? उसकी चुप्पी या मुस्कुराहट में ही इसका जवाब मिल जायेगा. घर के नींव कहे जानेवाले उस पिता के इसी प्रेम, त्याग को हमारे-आपके बीच की कुछ बेटियां बयां कर रही हैं. इनमें ऐसी भी बेटियां हैं, जिनके पिता आज उनके साथ. नहीं हैं, सिर्फ उनका आशीष है।
पिता का होना सबसे बड़ा सहारा होता है।
पापा के बारे में कुछ भी लिखते हुए शब्द अक्सर कम पड़ जाते हैं. मुझ पर मेरे पिता का असर सबसे अधिक रहा. सभी कहते हैं कि मैं दिखती भी उनकी ही हूं. सच कहूं तो मेरे व्यक्तित्व की जो भी अच्छाइयां हैं या खामियां हैं उसकी वजह भी 'पापा' ही हैं. उन्होंने हमें अपना निर्णय स्वयं लेना सिखाया, निडर बनना सिखाया, सादा रहना सिखाया और सेवा करना सिखाया. जब किशोरावस्था में कदम रखने पर पहली बार राह चलते लोग ताना मरते थे, तब पापा बोले- 'हाथी चले बाजार, कुत्ते भौंके हजार. उनके भौंकने से अगर तुम प्रभावित हुई, तो चलना दूभर हो जायेगा.' तब उस मुहावरे नहीं समझी थी. समय ने सब समझा दिया. मम्मी हमारी धरी थी, तो पापा हमारे ढाल. ढाल के जाने के बाद अचानक ही जिम्मेदार होने का एहसास हुआ. पिता का होना सबसे बड़ा सहारा होता है।
एक पिता का भावुक क्षण
जीवन में बहुत सारे भावुक पल आते हैं. मेरा बेटा 25 वर्ष का है और दिल्ली जीटीबी हॉस्पिटल में डॉक्टर है, सैलरी आते ही अपने किराये और खर्च के हिसाब से रख कर मुझे पूरी भेज देता है. लॉकडाउन के कारण मेरा कंस्ट्रक्शन बिजनेस बंद है. हर बार रोज एक ही बात कहता है, आप किसी भी चीज के लिए चिंतित न हों. अपना खाना-पीना सब कुछ पर ध्यान रखना.
अभी पिछले महीने व्हाट्सएप से मैसेज किया- पापा मैं प्ले स्टेशन (ps4) ले लूं? मैंने मैसेज देखकर फोन किया. हां, ले लो. अमेजॉन से डिलीवरी होने के बाद मुझे फोटो भेजा. 'लेकिन जब 'थैंक्यू यू पापा' लिखा देखा, तो आंखों से आंसू बहने लगे. पत्नी बोली- क्या हुआ? रुंधे गले से बताया- देखो पैसे उसके, खरीदा उसने और थैंक्यू मुझे बोल रहा है. डॉक्टर है, पर उसका बचपना नहीं गया. वो पल उसकी खुशी का था और मेरा भावुक होने का
आपने हमें संभावनाओं का खुला आकाश दिया
पापाजी, आज मैंने फिर सीढ़ियों से ऊपर मेरे घर आ रहे हैं और मैं नीचे एक सपना देखा कि आप उतर रही हूं. मैंने कहा, “पापा फ्लैट की चाबी कार में छूट गयी है, मैं लेकर तुरंत आती हूं, आप इंतजार कीजिए.” मैं भागती हुई लौटती हूं लिफ्ट से, ताकि आपको जल्दी घर में ले चलूं, पर लिफ्ट खराब हो जाती है और रुक जाती है. लिफ्ट से मैं आपको ऊपर की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए देखती हूं. मैं चिल्ला-चिल्ला कर आप को रुकने कहती हूं. आप ऊपर और ऊपर चढ़े जा रहे हैं और मैं आपको रोकने में बेबस हूं. मेरी नींद खुल जाती है. मैं आंसूओं से तरबतर हूं और हांफ रही हूं. आपके जाने के बाद इस तरह के सपने अक्सर मुझे आते हैं. जबकि पहले मुझे जहां कभी सपने नहीं दिखते थे. अच्छा लगता है पापा कम से कम आपको सपनों में देख तो पाती हूं।
अभी चार ही महीने हुए हैं आपको गये. इसी घर से आप अचेतावस्था में अस्पताल गये थे, फिर नहीं लौटे आप. मैं आपको लौटा नहीं पायी पापा, मुझे बहुत दुख है. आपके खुशमिजाज स्वभाव और बुद्धिमानी का सभी लोहा मानते रहे हैं, मैं, दीदी और मम्मी यदि आज कुछ भी हैं, ये आपके उदात्त सहयोगी स्वभाव के बदौलत ही हैं. भाग्यशाली होती हैं वो बेटियां, जिन्हें आप जैसे पिता मिलते हैं, जिसने हमें संभावनाओं का असीम आकाश दिया, मजबूत पंखों के संग. आज फादर्स डे है. आज कुछ ज्यादा ही आपकी कमी खल रही है. अभी आप को नहीं जाना था. बहुत जल्दी आपने जीवनप्रांगण में हमें अकेला छोड़ दिया. जाने कब आप से फिर मुलाकात होगी? तब तक, आपके इंतजार में.....
मेहंदू के पापा
कल फादर्स डे है और पहली बार हम सबके पापा इस दिन स्कूल आयेंगे, अंकित ने चहकते हुए कहा. और क्या, प्रिंसिपल मैडम ने कहा है कि रविवार होने के कारण सबके पापा आ सकेंगे, मिनी कूदते हुए बोली. कितना मजा आयेगा न, मैडम कह रही थी कि गेम्स भी होंगे और बुक स्टॉल भी लगेंगे, अक्षरा बोली।
और सबसे मजेदार बात यह रहेगी कि हर बच्चे को क्लास में अपने पापा के साथ बैठाया जायेगा और पापा के लिए कुछ बोलना पड़ेगा. मजा आ जायेगा. वैसे भी मेरे पापा को तो सब जानते हैं, वह बच्चों के ही तो डॉक्टर हैं, मिंकी उछलते हुए बोला. मेरे पापा के होटल का तो बोलो, कितनी बार तुम लोग खाना खाने के लिए आ चुके हो, महेश गर्व से बोला. एक के बाद एक करके सभी बच्चे अपने पापा का गुणगान करने लगे. सिर्फ मेहंदू ही डेस्क में चुपचाप सिर झुकाये बैठा था. तभी क्लास के सबसे शैतान लड़के सुधीर प्रिंने मेहंदू को देखा और सबको इशारा किया।
सभी बच्चे कूदकर मेहंदू के पास आ गये. अंकित ताली के बेजाकर गाने लगा. मेहंदी लगाकर रखना... नहीं-नहीं, गाड़ी वाला आया, घर से कचरा निकाल.... सुधीर ने ताली बजाते हुए गाना शुरू कर दिया. मेहंदू का चेहरा शर्म और गुस्से से लाल हो उठा, लेकिन वह सिर झुकाये बैठे रहा.आंसू टपकते हुए उसकी हथेलियों पर गिरते रहे, तभी घंटी बजी और बच्चे दौड़ते हुए वापस अपनी सीट पर चले गये. क्लासरूम देखने के लिए आयीं प्रिंसिपल मैडम कमरे के बाहर ही खड़ी हुई गर्मी की वजह से पसीने से नहीं गयीं. अगले दिन स्कूल के बाहर कूड़े का ढेर लगा हुआ था।
मैडम मुस्कुराते हुए बोली
सिर्फ एक दिन के लिए मैंने सफाई कर्मचारियों को छुट्टी क्या दी, तुम सबने तूफान खड़ा कर दिया. तुम उस कूड़े के ढेर को छू भी नहीं सकते हो, जिन्हें वे अपने हाथों से उठाकर फेंकते हैं. हॉल में सन्नाटा छा गया और बच्चों के चेहरे शर्म से झुक गये. जिस मेहंदू का तुम मजाक उड़ाते हो अगर उसके पापा एक दिन कचरा उठाने वाली गाड़ी लेकर नहीं निकलें, तो तुम सबके घरों के आगे कूड़ा सड़ता दिखेगा और सब जगह बीमारी फैलेगी।
बच्चे किसी तरह नाक भौं सिकोड़कर अंदर गये तो जगह-जगह सूखी पत्तियां उड़ रही थीं, क्लासरूम के बाहर के 'डिब्बे भी कचरे से भरे हुए थे, डेस्क और बेंच धूल से सने हुए थे. जो बच्चे रुमाल लाये थे, वे तो किसी तरह साफ करके बैठ गये, पर जो रुमाल नहीं लाये उन्हें धूल से सनी बैंच पर ही बैठना पड़ा. बच्चों को बहुत गुस्सा आ रहा था. जब वे खाना खाने के लिए प्लेग्राउंड में पहुंचे तो जहां-तहां गंदगी पड़ी हुई थी।
सबने मिलकर निश्चय किया कि वे प्रिंसिपल मैडम से इसकी शिकायत करने जायेंगे, पर स्कूल खत्म होने के बाद जब बच्चे प्रिंसिपल रूम पहुंचे तो पता चला कि मैडम मीटिंग में हैं और दो घंटे बाद आयेंगी. दो घंटे कौन रुकता, इसलिए सब घर चले गये. अगले दिन फादर्स डे था और सभी बच्चे खुशी से चहकते हुए अपने अपने पापा के साथ स्कूल पहुंचे. सिर्फ मेहंदू ही था, जो अकेला स्कूल आया था. स्कूल के ऑडोटोरियम में सभी बच्चे अपने पापा के साथ जाकर खुशी-खुशी बैठ गये. प्रिंसिपल मैडम ने माइक संभाला और कहा- कल मीटिंग के कारण मैं बच्चों की बात सुन नहीं सकी थी.
किसी को आज कुछ कहना है क्या? फिर क्या था, एक के बाद एक करके सभी का आक्रोश फूट पड़ा और सभी बच्चे गंदगी के बारे में बताने लगे, मैडम मुस्कुराते हुए बोली- सिर्फ एक दिन के लिए मैंने सफाई कर्मचारियों को छुट्टी क्या दी, तुम सबने तूफान खड़ा कर दिया. तुम उस कूड़े के ढेर को छू भी नहीं सकते हो, जिन्हें वे अपने हाथों से उठाकर फेंकते हैं. हॉल में सन्नाटा छा गया और बच्चों के चेहरे शर्म से झुक गये।
जिस मेहंदू का तुम सारे समय मजाक उड़ाते हो अगर उसके पापा एक दिन कचरा उठाने वाली गाड़ी लेकर नहीं निकलें तो तुम सबके घरों के आगे कूड़ा सड़ता दिखेगा और सब जगह बीमारी फैलेगी. अंकित कांपते पैरों से खड़ा हुआ और मेहंदू की तरफ देखते हुए बोला- हमें माफ कर दो. मेहंदू भावुक होकर रो पड़ा. तभी मैडम ने मंच के पीछे से किसी को आने के लिए कहा. 'मेहंदू के पापा' सकुचाते हुए आकर खड़े हो गये. सभी बच्चों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और हॉल तालियों से गूंज उठा. मेहंदू के आंसू अब भी हथेलियों को भिगो रहे थे, पर अब ये गर्व और खुशी के आंसू थे।
ईश्वर का स्वरूप हैं पिता
जिम्मेदारियों से भरा समंदर है पिता
उनके हृदय की गहराई जाने न कोई
जीवन में खुशियों की चाबी है पिता
उनके मन की व्यथा जाने न कोई.
ख्वाहिशें तमाम पूरी करते हैं पिता
उनकी इच्छाओं का त्याग जाने न कोई
खुद कभी हाथी, कभी घोड़ा बनकर,
हमें मस्ती भरा खेल खेलाते हैं पिता.
हमारे सपने को पूरा करने की चाहत में,
परिश्रम करते दिन-रात, सोते नहीं हैं पिता
अपनी बदकिस्मती से लड़ कर,
हमारे हौसले को उड़ान देते हैं पिता.
घर में न्यायाधीश प्रमुख कहलाते हैं,
सबको हक बराबरी का दिलवाते हैं
गजब के हैं वो नायक, विकट समय में भी,
बोझ दिलों में छिपा, सामने मुस्कुराते हैं पिता.
हमारे लिए ईश्वर का स्वरूप हैं पिता,
हर समस्या का निदान बतलाते हैं
उनके हृदय की गहराई जाने न कोई
मानवता का सम्मान सिखाते हैं पिता.
अंगुली पकड़ चलना सिखाया हमें,
आज दौड़ रहे विश्वास व हिम्मत लिये हम
पिता हमारा स्वाभिमान हैं, बेशकीमती दौलत है
हमारे घर की बुनियाद हैं पिता.
आपको ये कहानी अछि लगी हो तो ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए अपने दोस्तो को
Written By –✍ @Aryan-Rani❤️
Dear Reader, My name is Aryan Yadav. I have been blogging for the last 6 months and I have been giving Heart touching love story content as far as possible to the reader. Hope you like everyone, please share your classmate and friends too. As a literature person, I am very passionate about reading and participating in my thoughts on paper. So what is better than adopting writing as a profession? If u have any doubts Or any article spelling mistakes u can suggest me at my email id - aryanyadav7261@gmail.com .....❤️
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👍👍👍❤️❤️
जवाब देंहटाएंWow….bhai apne kya likha hain ….padh Kr emotional hogee
जवाब देंहटाएंAapka post padh Kr rona aa gaya..mere papa nahi Hain es duniya mein aj bahut miss Kr raha hu unhe….love you papa..I miss you papa…bahut kismat wale hote hon wo log jiske papa hote hain…
जवाब देंहटाएंHmm....Papa duniya ka sbse pyare insaan hn....I love u dad
हटाएंGood bro acha tha story
जवाब देंहटाएंHeart touching story brother
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