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कहा खो गई थी तुम Short Romantic Love Stories In Hindi

कहा खो गई थी तुम  Short Romantic Love Stories In Hindi गाँव में कॉलेज नही था इस कारण पढ़ने के लिए में शहर आया था । यह किसी रिश्तेदार का एक कमरे का मकान था! बिना किराए का था,  आस-पास सब गरीब लोगो के घर थे। और में अकेला था सब काम मुजे खुद ही करने पड़ते थे।  खाना-बनाना, कपड़े धोना, घर की साफ़-सफाई करना। कुछ दिन बाद एक गरीब लडकी अपने छोटे भाई के साथ मेरे घर पर आई। आते ही सवाल किय " तुम मेरे भाई को ट्यूशन करा सकते हो कयां?" मेंने कुछ देर सोचा फीर कहा "नही" उसने कहा "क्यूँ? मेने कहा "टाइम नही है। मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब होगी।" उसने कहा "बदले में मैं तुम्हारा खाना बना दूँगी।" शायद उसे पता था की में खाना खुद पकाता हुँ मैंने कोई जवाब नही दिया तो वह और लालच दे कर बोली:- "बर्तन भी साफ़ कर दूंगी।" अब मुझे भी लालच आ ही गया: मेने कहा- "कपड़े भी धो दो तो पढ़ा दूँगा।" वो मान गई। इस तरह से उसका रोज घर में आना-जाना होने लगा। वो काम करती रहती और मैं उसके भाई को पढ़ा रहा होता। ज्यादा बात नही होती।   उसका भाई 8वीं कक्षा में था। खूब होशियार था। इस

वह नही आया vah nhi aaya 💔A Heart Touching Story in Hindi

वह नही आया .....  vah nhi aaya 💔A Heart Touching Story in Hindi 


हेलो! हाय कैसे हो आप सभी मेरा नाम आर्यन है और मैं एक ब्लॉगर हूं जो कि हर एक पोस्ट को दिल से लिखता हूं, आज का जो स्टोरी है वह बहुत ही खास है सच्च बता रहा हूं इस स्टोरी को पढ़ने के बाद आपके फीलिंग उमड़ आएंगे, अगर आप भी किसी से प्यार करते हैं तो यह कहानी आपके लिए है, इस कहानी का नाम है–“वह नहीं आया" चलिए शुरू करते हैं इस कहानी को.....


वह नही आया vah nhi aaya 💔A Heart Touching Story in Hindi


राहुल त्रिवेदी नाम का एक होटल मैनेजर अपनी पत्नी, दो बच्चों और बूढ़ी मां के साथ दिल्ली के बिलासपुर में रहा करता था ।


उसकी मां का नाम था सावित्री देवी, उन्हें शुगर और बीपी की बीमारी थी,उनकी हाथ व मुंह की झुरिया साफ नजर आती थी, 


सावित्रि को अपने बेटे से बहुत स्नेह था, बचपन से ही वह अपने बेटे को पलकों पे बिठा कर रखा करती थी और उसकी सारी फरमाइशों को पूरा करती थीं । “वह नहीं आया"


वह नही आया vah nhi aaya 💔A Heart Touching Story in Hindi


वो कहते है ना कि बच्चे कब बड़े हो जाते हैं मां बाप को पता ही नहीं चलता है। 


राहुल का होटल मैनेजर के तौर पर जॉब हो गया था। और उसे अच्छी तनख्वा भी मिलने लगी थी। 


एक दिन वह अपनी मां से कहता है कि –“ जब तक घर का मरम्मत का काम खत्म नहीं हो जाता है आप  वृद्धा आश्रम में रह लो..!


ममता से भरी मां बेटे की बातो को सुनकर वृद्धा आश्रम जाने को तैयार हो जाती है। वह नहीं आया"

वह नही आया vah nhi aaya 💔A Heart Touching Story in Hindi


उस बड़े घर में कई बुजुर्ग स्त्री और पुरुष भी थे. उन्हीं में से एक ने सावित्री से कहा-"आपको भी बेटे ने घर से निकाल दिया ?" सावित्री ने चिढ़ कर एवं बड़े अभिमान से कहा- “नहीं... नहीं, मेरा बेटा ऐसा नहीं है. वह तो श्रवण कुमार है, वो तो उसके घर में मरम्मत का काम होने वाला है, इसलिए एक सप्ताह के लिए मैं यहां रहने आयी हूं".


 “रहने दीजिए सावित्री जी, ये सब बहाने हैं". बुजुर्ग ने कहा. 


सावित्री का समय उन नये दोस्तों के साथ कटने लगा, पर उसका ध्यान घर पर ही लगा रहता. सात दिन बीत चुके थे, पर सावित्री का बेटा नहीं आया और न ही उसका कोई फोन आया।


तब सावित्री ने ही बेटे को फोन लगाया और पूछा- "कब आ रहे हो लेने?" बेटे ने काम का बहाना करके फोन काट दिया. “वह नहीं आया"


 कुछ और दिन बीत गये, पर वह नहीं आया. अब तो वह फोन भी नहीं उठाता था. सावित्री के सात दिन सात महीने में बदल गये, पर वह नहीं आया. आखिरी सांस तक यह इंतजार इंतजार ही रह गया😥


Written By _ Aryan@Rani😘♥️

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