short motivational story in Hindi language: प्रेरणादायक कहानियां
1. असंभव कुछ भी नहीं: Nothing is Impossible
Rajinder Singh Rahelu ! यह एक क्रिकेटर या फिल्म स्टार नहीं है, इसलिए शायद आपने नाम नहीं सुना होगा। राजिंदर सिंह राहेलू एक गरीब परिवार में जन्मे थे और उन्हें 8 महीने की उम्र में पोलियो हो गया था, जिसके कारण वे कभी अपने पैरों पर नहीं चल सके। लेकिन आप क्या सोच सकते हैं— क्या कोई व्यक्ति 185 किलोग्राम वजन उठा सकता है अगर उसके पैर इतने कमजोर हैं कि वह एक बार भी खड़ा नहीं हो सकता? short motivational story in Hindi language
राजेंद्र सिंह राहेलू ने ऐसा किया है। 2014 के कामनवेल्थ खेलों में, उन्होंने 185 किलोग्राम वजन के हैवीवेट पावर लिफ्टिंग में रजत पदक जीता था। Rajinder Singh Rahelu शारीरिक असक्षमता से पीड़ित लोगों के लिए प्रेरणा है।
22 जुलाई 1973 को जन्मे राजिंदर को 8 महीने की उम्र में पोलियो हो गया था। उनका बचपन विकलांगता और गरीबी से बीता, लेकिन वे हार नहीं मानी। 1996 में, उन्होंने अपने दोस्त से प्रेरणा लेकर वेट लिफ्टिंग में करियर बनाने का फैसला किया। प्रैक्टिस करने के लिए वे ट्राई-साईकिल पर जाते थे और जहां ट्राई-साईकिल ले जा नहीं सकते थे, वहां वे अपने हाथों से चलते थे।
उन्होंने कई चुनौतीओं का सामना किया, लेकिन हार नहीं मानी और जल्द ही देश भर में जाना जाता था। Rajinder ने अपनी मेहनत से शक्ति लिफ्टिंग में सफलता हासिल की। उन्होंने 2004 के एथेंस पैराओलिंपिक खेलों में 56 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता।
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2008 और 2012 में उन्होंने पॉवर लिफ्टिंग खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 2012 के पैराओलिंपिक खेलों में, वे 175 किलोग्राम वजन उठाने में तीन बार असफल रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2014 के कॉमनवेल्थ खेलों में, उन्होंने 185 किलोग्राम वजन उठाकर रजत पदक जीता और आज वे युवा लोगों के लिए प्रेरणा हैं। आज वे युवा और असक्षम बच्चों को कोचिंग देते हैं।
वे एक असली हीरो है। हमारे जैसे लोग हर दिन हमें नई आशा देते हैं, जो दिखाता है कि कोशिश करने वालों को कभी हार नहीं होती। Rajinder Singh Rahelu जैसे लोगों ने कहा कि “ असंभव कुछ भी नहीं – Nothing is Impossible
2. खुद को बदलिये: change yourself
राजा एक नगर में रहता था। राजा हमेशा महल से बाहर अपने घोड़े पर जाता था। वह एक बार पैदल ही अपने नगर को देखा और लोगों की समस्याओं को जानने के लिए निकला। राजा को जूते नहीं थे, इसलिए जमीन पर कंकड़ और पत्थरों से पैर दुखने लगे।
इस समस्या को हल करने के लिए राजा ने अपने मंत्रियों को एक बैठक बुलाई। ज्यादातर मंत्रियों ने सुझाव दिया कि पूरे शहर के मार्ग को मोटी चमड़े की परत से ढक देना चाहिए। लेकिन इसके लिए बहुत सारे पैसे और संसाधन चाहिए थे।
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राजा के पास खड़े एक सैनिक ने कहा कि पूरे शहर को चमड़े से ढकने से अच्छा यह होगा कि हम सिर्फ अपने पैरों को चमड़े से ढक दें। हमारे पैर सुरक्षित रहेंगे और अधिक धन खर्च नहीं होगा। सिपाही की सलाह सुनकर राजा खुश हो गया और सभी को “जूते” बनाने का आदेश दिया।
3. इंसान कि क़ीमत: value of human being
एक शिक्षक एक बार क्लास में पढ़ाया। शिक्षक ने बच्चों को कुछ नया सिखाने के लिए अपनी जेब से सौ रुपये का नोट निकाला। उन्होंने बच्चों को नोट दिखाकर पूछा, "क्या आप लोगों को बता सकते हैं कि यह कितने रुपये का नोट है?"
“100 रुपये का” सभी बच्चों ने कहा, टीचर, इस नोट को कौन प्राप्त करना चाहेगा? बच्चों ने अपना हाथ खड़ा कर दिया। अब शिक्षक ने नोट को अपनी मुट्ठी में बंद करके बहुत मसला, जिससे वह कुचल सा गया। अब शिक्षक ने बच्चों को नोट दिखाया और कहा कि नोट कुचल सा गया है, इसे कौन लेना चाहेगा।
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बच्चों ने फिर हाथ उठाए। उस शिक्षक ने फिर उस नोट को जमीन पर फेंका और उसे अपने जूते से बुरी तरह कुचला। फिर शिक्षक ने नोट उठाकर बच्चों को फिर से दिखाया और पूछा कि इसे अब कौन लेना चाहेगा? बच्चों ने एक बार फिर हाथ उठा लिया।
अब शिक्षक ने कहा कि आज मैंने आपको बहुत कुछ सिखाया है। ये एक सौ रुपये का नोट था. जब मैंने इसे हाथ से कुचला, तो नोट कुचल गया लेकिन 100 रुपये का था. जब मैंने इसे जूते से मसला, तो नोट गन्दा हो गया लेकिन फिर भी 100 रुपये का था।
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इंसान की कीमत और काबिलियत हमेशा वैसी ही रहती हैं। आपको अपनी कीमत नहीं गंवानी चाहिए, चाहे कितनी भी मुश्किलें आपके ऊपर आ जाएँ। आप कल की तरह आज भी बेहतर हैं।
4. सबसे बड़ा खजाना: the greatest treasure
एक लोहार था। उन्होंने बढ़ई के लिए हथोडा बनाया। हथोडा मजबूत और सुंदर था।हथोड़े की मजबूती और सुंदरता देखकर बढ़ई ने सोचा कि लोहार से एक और हथोड़ा बनवा लें। “तुम मेरे लिए एक हथोडा और बना दो लेकिन इस बार जो हथोडा बनाना वह पहले वाले हथोड़े से भी ज्याद सुन्दर होना चाहिए और इसके लिए मैं तुम्हें मुह माँगा इनाम दूंगा,” बढ़ई ने कहा। “नहीं यह तो नहीं हो पाएगा,” विनम्रता से बोला लोहार ने बढ़ई की बात सुनी।
लोहार की बात सोने पर बढ़ई आश्चर्यचकित होकर पूछा, “आखिर क्यों?” तुम्हारा मुह माँगा इनाम तो तुम्हें मिलेगा, तो मना क्यों कर रहे हो? “दाम की बात नहीं है में जब भी कोई चीज बनता हूँ पूरी योग्यता और लगन से बनता हूँ,” लोहार ने कहा। मैंने पूरी मेहनत और लगन से आपके लिए हथोडा बनाया है। अब आप बताइए कि मैं इससे एक सुंदर और आचा हथोडा कैसे बना सकता हूँ।
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अगर मैं आपकी बात मान लेता हूँ और कहता हूँ कि हाँ, मैं इसे कम कर सकता हूँ, तो इसका मतलब यह होगा कि मैंने पहले वाले हथोड़े को बनाने में कुछ बाकी रख दिया था, जो इस हथोड़े को और भी सुंदर बना सकता है. लेकिन यह सच नहीं है। मैंने पहले ही पूरी ईमानदारी और लगन से आपके लिए हथोड़े बनाया है।
इसलिए कहने का मतलब यह है कि किसी के लिए कुछ भी करो, तो पूरे दिल से करो। उसे सर्वश्रेष्ठ बनाने में कोई भी बाधा नहीं छोड़ो।
5. कोई छोटा बड़ा नहीं: no big or small
शंभू एक छोटे से कस्बे में रहता था। वह बड़े-बड़े पत्थरों को पहाड़ों से निकालकर मूर्तियां बनाता था। इस पद पर बहुत अधिक मेहनत की जाती थी, लेकिन कम पैसा मिलता था। दिन भर धूप पसीने में काम करते हुए शंभू पत्थर तोड़ता था। उसके पूर्वज भी ऐसा करते थे।
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यह छोटा काम करते हुए शंभू क्या सोचता है? दो वक्त की रोटी भी नहीं मिलती। जब मैं बड़ा आदमी बन जाऊँगा, तो मुझे काम भी बहुत नहीं करना होगा और बस बैठकर ऐसा करूँगा। वह हर दिन एक नेता को देखता है जिसके पीछे भीड़ रहती है। सैकड़ों लोग खड़े होकर उसे प्रणाम करते हैं। कुछ दिनों में शंभू ने नेता बनने का फैसला किया।
वह नेता बनने के बाद एक रैली कर रहा था, जब धूप बहुत तीव्र थी। वह धुप की गर्मी सहन नहीं कर पाया और वहीं गिर गया। वह उठकर देखा कि वह बिस्तर पर लेटा हुआ था। बिस्तर पर लेटे-लेटे वह सोचने लगा कि नेता से अधिक शक्तिशाली सूर्य है, जिसकी गर्मी कोई नहीं सहन सकता। अब मुझे सूर्य बनना है। कुछ दिनों बाद वह भी सूर्य बन गया।
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अब शंभू गर्व से चमकता रहता और भारी गर्मी पैदा करता। तभी उसने खेत में एक कामगार को आराम से काम करते देखा। उसने मजदूर को गर्मी और बढ़ाई दी, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। विचार करने पर उसे पता चला। तब भगवान ने सोचा कि ठंडी-ठंडी हवा पृथ्वी पर बह रही है। कुछ दिनों बाद मैं हवा बन गया और शक्तिशाली बन गया।
वह हवा बन गया और खुशी-खुशी इधर-उधर घूमने लगा। उसे अचानक एक विशाल पहाड़ दिखाई दिया, जिसके पार वह नहीं जा सका। उसने फिर सोचा कि मैं इससे भी बड़ा पर्वत बन जाऊँगा। धीरे-धीरे वह एक विशालकाय पर्वत बन गया। अब उसे अपने बल और आकार का घमंड हुआ। कुछ दिनों बाद, छेनी-हथौड़ी की आवाज उसे बुरा लगने लगी। उसकी आवाज इतनी कर्कश थी कि वह बेहोश हो गया। जब उसकी आँखें खुलीं, उसने देखा कि एक शिल्पकार उसके पहाड़ को तोड़ रहा था।
short motivational story in Hindi languageकुछ अच्छी मोरल हिंदी स्टोरी –
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