Very short love story एक छोटी सी लव स्टोरी
ख्वाबों मे पसंद आई थी वो मुझे। सोचा किसी दिन मिल जाये तो हक़ीक़त बना लूँ उसे। पर वो कहाँ मानने वाली थी। भला खु_वाबों की दुनियाँ हक़ीक़त में कहां सच्ची होती है। शायद ही कभी, पर हमारी मुलाकात अक्सर होती थी उस ख़्वाबों वाली से ..." सपनों में।" Very short love story एक छोटी सी लव स्टोरी
मैंने उस से कहा भी था। कब तक यूँ हीं ख़्वाबो में आती-जाती रहोगी। कभी हकीक़त बन घर भी आ जाओ, यूँ तेरा रस्ता देख रहें है सब तुम अपनी मर्जी से आती हो और चली जाती हो। हमारी भी मर्जी पूछ लिया करो कभी। पर नहीं ! ओ तो सपना है और खुद की मर्जी की मालकिन ।
हमारा क्या हम तो नींद से जागते हैं और अपने आप को अक्सर तन्हां ही पाते हैं। वो अक्सर कहती थी ..." सपने सच नहीं होते और ना हीं हम अपनी दुनियां से तुम्हारे लिऐ आ सकते हैं।" तुम अपने लिऐ कोई खुली आँखों से ढूंढ लो। Very short love story एक छोटी सी लव स्टोरी
क्यूँ मेरे सपनो की दुनियाँ को हक़ीक़त बनाना चाहते हो ... आखिर क्या रखा है मुझमें ...??
पर, मैं कहाँ मानने वाला था । हम भी कह बैठे... मुहब्बत जो हो गई है तुम से। अब किसी और की तस्वीर भाती नहीं है, "एक तेरे सिवा । " तुम ही कहो, कैसे भूला दूं तुझे।
तुम यूं नाराज़ ना हुआ करो वरना हमारे सपनें टूट जायेंगे और फिर निंदों में कौन सुलायेगा हमें।
अच्छा जी...ख़्वाबों की बातें करते हो और हमारे सपनें को तोड़ना चाहते हो । बड़ा निर्दयी हो तुम। यूं अक्सर सपनों में आती हूँ फिर हक़ीक़त में क्यूं ढूंढते हो हमें। क्यूँ ! सपनों में हमने आपको परेशान कर रखा है क्या..... जाओ मैं नही आती तेरी उस खुदगर्ज दुनियाँ में जहाँ सिर्फ़ मतलब के लोग होते हैं। Very short love story एक छोटी सी लव स्टोरी
अच्छा बाबा...sorry बोलता हूँ। देखो! नाराज़ मत होना । "तुम्हारा रूठना मेरी जान ना ले ले कहीं।"
आख़िर तुम्हारे अलावा मेरा है हीं कौन जिसे मैं अपना कहूँ , देखो! अब रोना नहीं वरना हमारे सपने बिखर जायेंगे। एक तुम हो जो समझती हो मुझे और है भी कौन जो मुझें अपना समझें । अच्छा जी ... प्यार भरी बाते कर के ख़ुद रोते हो और हमे भी रूलाते हो। तो फिर हक़ीक़त में क्यूं आने को कहते हो। क्या प्यार नहीं है मुझसे या कोई पसंद आ गई हक़ीक़त वाली । Very short love story एक छोटी सी लव स्टोरी
"शायद अब मेरी जरूरत ही ना रही होगी। देखो अगर मैं रूठ गई ना तो फिर वापस कभी नहीं आऊँगी ।
तुम तो मेरी ख़्वाबों वाली हो। यूं रूठ कर जानें की बाते ना किया करो | किया था प्यार मैंने एक संगदिल हसीना से ... रूठ कर चली गई। "शायद सूरत ही ना पसंद आयी उसे मेरी ।"
अच्छा जी....तुम हो ही ऐसे । "प्यार मुझसे करते हो और इज़हार किसी और से करने जाते हो ।" देखा ! कैसे छोड़ गई वो " शायद मेरी बटुआ लगी होगी, मुझसे छीन कर जो ले जा रही थी तुझे । "
आख़िर कैसे जाने देती तुझे। खुदा जो मान बैठी हूँ। पर तुम्हें कोई परवाह ही नहीं । आखिर क्यों होगी, सपना जो ठहरी। भला कौन परवाह करता है सपना का किसी हकीक़त के लिए। तुम रूठती बहुत हो ... कहाँ छोड़ा तुम्हें। आज भी तुम मेरे सपनों में हो।
"शायद तुम्हे कोई और पसंद आ गया हो। "
देखो जी! हम पर तोहमत ना लगायें। ये इल्जाम लगाने से पहले सोचा तो होता । दिल तोड़ दिया है आपने मेरा । रहो तुम अकेले ... अपने उस बेवफ़ा के साथ जा रही हूँ मैं । शायद फिर ना आऊँगी । और हाँ ...हकीक़त वाली जिस दिन मिल जाये ना तो भूले से भी जिक्र मेरा ना करना । वरना वो इस प्यार को हकीक़त समझ बैठेगी ।
अलविदा दोस्त ... हो सके तो सपनों में याद रखना मुझे, मेरा सफ़र यही तक था
WRITTEN BY : ARYAN@RANI
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